कटनी। कुठला थाना क्षेत्र में पुलिस ने शनिवार को चार से अधिक स्थानों पर दबिश देकर अवैध देशी शराब जप्त की। हालांकि कार्रवाई हुई लेकिन इससे उठे सवाल और भी गंभीर हैं।
पुलिस ने कार्रवाई के दौरान:
•लमतरा पानी टंकी के पास: 20 पाव देशी शराब
•इंडस्ट्रियल एरिया, लमतरा: 18 पाव देसी लाल शराब
•मोहन नगर टिकरवारा: 18 पाव देशी प्लेन
•इंद्रानगर गली नम्बर-09: 18 पाव देशी प्लेन
कुल मिलाकर 74 पाव अवैध शराब जब्त की गई।
लेकिन सबसे अहम बात यह है कि कहीं से भी अंग्रेजी शराब बरामद नहीं हुई। जबकि क्षेत्र में अंग्रेजी ब्रांड की अवैध बिक्री की चर्चाएं लंबे समय से जोरों पर हैं।
लोगों का कहना है कि “जहाँ गरीब बेचता है वहाँ छापा, जहाँ बड़े बेचते हैं वहाँ खामोशी।”
लंबे समय से थाना क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री की चर्चा तेज थी, लेकिन थाना प्रभारी की लापरवाही और ढिलाई के कारण यह कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा था। शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे तस्करों को सुरक्षा का भरोसा मिला।
फिर भी, पुलिस अधीक्षक सक्रिय और सतर्क प्रयासों में जुटे हैं। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए और यह सुनिश्चित किया कि अवैध शराब पर कार्रवाई हो। उनके प्रयासों की बदौलत ही चार स्थानों पर छापेमारी संभव हुई।
अब जब कार्रवाई हुई है। तो यह सिद्ध हुआ कि शराब बिक रही थी, मगर मात्रा और पकड़ दोनों ही इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यह कार्रवाई केवल कागज़ पर खानापूर्ति जैसी लगती है।
स्थानीय नागरिकों ने सवाल उठाया है कि अगर महीनों से अवैध शराब की बिक्री जारी थी।, तो इतनी छोटी मात्रा में ही शराब क्यों मिली? क्या बड़ी खेप पहले से हटा दी गई थी, या पुलिस को पहले से जानकारी थी कि कहाँ दबिश देनी है और कहाँ नहीं?
अब चर्चाओं का केंद्र यह है कि यह कार्रवाई जनता को दिखाने के लिए की गई औपचारिकता तो नहीं थी।
देशी पकड़कर रहे लूट रहे वाहवाही, अंग्रेजी को छूट।” — यह तंज़ अब लोगों की जुबान पर है।
सूत्र बताते हैं कि इलाके में अंग्रेजी शराब की सप्लाई और बिक्री का नेटवर्क लगातार सक्रिय है, लेकिन पुलिस ने वहाँ तक पहुँचने की कोशिश ही नहीं की। सवाल उठता है कि क्या पुलिस का मकसद सच में अपराध रोकना है, या मीडिया की सुर्खियाँ बटोरना..?
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह छापेमारी औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं। उन्होंने मांग की है कि कार्रवाई की निष्पक्ष जांच हो। और यह देखा जाए कि आखिर बड़ी खेप और अंग्रेजी शराब तक पुलिस क्यों नहीं पहुँच पाई।
यह मामला सिर्फ अवैध शराब का नहीं, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली और ईमानदारी की परीक्षा भी है।
अगर विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई, तो यह कार्रवाई आने वाले दिनों में “कुठला पुलिस की खानापूर्ति” के उदाहरण के रूप में याद की जाएगी।
